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মহাত্মা এবং ধোপা!!!

 0️⃣2️⃣❗0️⃣8️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣4️⃣ *♨️আজকের প্রেরণাদায়ক গল্প♨️*          , মহাত্মা এবং ধোপা!!! , এক মহাত্মা নদীর তীরে অবস্থিত একটি বড় পাথরের উপর বসে ছিলেন। একজন ধোপা সেখানে আসে এবং তীরে একমাত্র পাথর ছিল যেখানে সে প্রতিদিন কাপড় ধুতেন। মহাত্মাজীকে পাথরের উপর বসে থাকতে দেখে তিনি ভাবলেন- তিনি এখন উঠবেন, আমি কিছুক্ষণ অপেক্ষা করব এবং পরে আমার কাজ করব। এক ঘণ্টা গেল, দুই ঘণ্টা গেল, তবুও মহাত্মা উঠলেন না। তাই, ধোপা হাত গুটিয়ে বিনয়ের সাথে অনুরোধ করলেন, "মহাত্মান, এটা আমার কাপড় ধোয়ার জায়গা, আপনি অন্য কোথাও বসলে আমি আমার কাজ শেষ করব।" মহাত্মাজী সেখান থেকে উঠে একটু দূরে গিয়ে বসলেন। ধোপা কাপড় ধোয়া শুরু করে, এবং কাপড় ধোয়ার প্রক্রিয়ায়, মহাত্মাজির উপর কিছু ছিটা পড়তে শুরু করে। মহাত্মাজী রেগে গিয়ে ধোপাকে গালি দিতে লাগলেন। শান্তি না পেয়ে পাশে রাখা ধোপাদের লাঠিটা তুলে নিয়ে তাকে মারতে থাকে। উপর থেকে সাপকে নরম মনে হলেও লেজ চাপলেই এর বাস্তবতা প্রকাশ পায়। মহাত্মাকে রাগান্বিত দেখে ধোপা ভাবলো আমি নিশ্চয়ই কোনো অপরাধ করেছি। তাই তিনি হাত গুটিয়ে মহাত্মার কাছে ক্ষমা চাইতে লাগলেন। মহাত্মা বললে

*!! महात्मा और धोबी !!*

 0️⃣2️⃣❗0️⃣8️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣4️⃣ *♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*          *!! महात्मा और धोबी !!* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ एक नदी तट पर स्थित बड़ी सी शिला पर एक महात्मा बैठे हुए थे। वहाँ एक धोबी आता है किनारे पर वही मात्र शिला थी जहां वह रोज कपड़े धोता था। उसने शिला पर महात्मा जी को बैठे देखा तो सोचा- अभी उठ जाएंगे, थोड़ा इन्तजार कर लेता हूँ अपना काम बाद में कर लूंगा। एक घंटा हुआ, दो घंटे हुए फिर भी महात्मा उठे नहीं ! अतः धोबी नें हाथ जोड़कर विनय पूर्वक निवेदन किया कि महात्मन् यह मेरे कपड़े धोने का स्थान है आप कहीं अन्यत्र बिराजें तो मै अपना कार्य निपटा लूं। महात्मा जी वहाँ से उठकर थोड़ी दूर जाकर बैठ गए। धोबी नें कपड़े धोने शुरू किए, पछाड़ पछाड़ कर कपड़े धोने की क्रिया में कुछ छींटे उछल कर महात्मा जी पर गिरने लगे। महात्मा जी को क्रोध आया, वे धोबी को गालियाँ देने लगे। उससे भी शान्ति न मिली तो पास रखा धोबी का डंडा उठाकर उसे ही मारने लगे। सांप उपर से कोमल मुलायम दिखता है किन्तु पूंछ दबने पर ही असलियत की पहचान होती है। महात्मा को क्रोधित देख धोबी ने सोचा अवश्य ही मुझ से कोई अपराध हुआ है। अतः वह हाथ जोड़