1. পতঙ্গের দেহে কোন প্রোটিন পাওয়া যায় ?
উঃ কাইটিন
2. শ্বেত রক্তকণিকা কবে আবিষ্কৃত হয় ?
উঃ ১৯২২
3. রামমোহন রায় কে ‘ভারত পথিক’ বলে কে সম্মান জানিয়েছেন ?
উঃ রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর
4. বাংলা গেজেট পএিকার সম্পাদক কে ?
উঃ গঙ্গাকিশোর ভট্টাচার্যের
5. নিখিল ভারত ট্রেড ইউনিয়ন কংগ্রেসের প্রথম অধিবেশনে কে সভাপতিত্ব করেন ?
উঃ লালা লাজপত রায়
6. ভারতের বিপ্লববাদের জননী নামে খ্যাত ছিলেন ?
উঃ মাদাম কামা
7. নিখিল ভারত হোমরুল লীগের প্রতিষ্ঠাতা কে ?
উঃ অ্যানি বেসান্ত
8. বাঘাযতীন নামে কে পরিচিত ছিলেন ?
উঃ যতীন্দ্রনাথ মুখোপাধ্যায়
Karba bachan
*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️* *!! कड़वा वचन !!* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ सुंदर नगर में एक सेठ रहते थे। उनमें हर गुण था- नहीं था तो बस खुद को संयत में रख पाने का गुण। जरा-सी बात पर वे बिगड़ जाते थे। आसपास तक के लोग उनसे परेशान थे। खुद उनके घर वाले तक उनसे परेशान होकर बोलना छोड़ देते। किंतु, यह सब कब तक चलता। वे पुन: उनसे बोलने लगते। इस प्रकार काफी समय बीत गया, लेकिन सेठ की आदत नहीं बदली। उनके स्वभाव में तनिक भी फर्क नहीं आया। अंततः एक दिन उसके घरवाले एक साधु के पास गये और अपनी समस्या बताकर बोले- “महाराज ! हम उनसे अत्यधिक परेशान हो गये हैं, कृपया कोई उपाय बताइये।” तब, साधु ने कुछ सोचकर कहा- “सेठ जी ! को मेरे पास भेज देना।” “ठीक है, महाराज” कहकर सेठ जी के घरवाले वापस लौट गये। घर जाकर उन्होंने सेठ जी को अलग-अलग उपायों के साथ उन्हें साधु महाराज के पास ले जाना चाहा। किंतु, सेठ जी साधु-महात्माओं पर विश्वास नहीं करते थे। अतः वे साधु के पास नहीं आये। तब एक दिन साधु महाराज स्वयं ही उनके घर पहुंच गये। वे अपने साथ एक गिलास में कोई द्रव्य लेकर गये थे। साधु को देखकर सेठ जी की प्यो...
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